सब्र

तेरे संग कुछ इस तरह, रिश्ता निभा लिया मैंने,
दिल में इक तहखाना, बना लिया मैंने,
तेरे सारे दिए दर्द को, दबा लिया मैंने,
तेरे संग कुछ इस तरह, रिश्ता निभा लिया मैंने |

ना तू मुझको जान पाया, या मैंने नहीं तुझे जाना है,
नया नया सा आज भी लगता, रिश्ता दशकों पुराना है,
बस इक नयी सोच का , ताना बाना बना लिया मैंने,
तेरे संग कुछ इस तरह, रिश्ता निभा लिया मैंने|

तेरे हिसाब से जीने की, आदत सी हो गयी है,
दुःख सुख मैं साथ रहने की, इक ज़िद सी हो गयी है,
साथ न छोड़ूंगी , जीवन के अंत तक, ये मन बना लिया मैंने,
तेरे संग कुछ इस तरह, रिश्ता निभा लिया मैंने|

कुछ कट गयी उम्र, बाकी भी गुजर जाएगी,
सब्र की डली, अंतः मीठा फल दे जाएगी,
ये जुमला अब, अपना लिया मैंने,
तेरे संग कुछ इस तरह, रिश्ता निभा लिया मैंने|

Kavita Tanwani

    • 6 years ago

    Very Nice Mummy

    • 6 years ago

    Bahut ache vichar hi aapke muje is kavita mai apni jhalak dikh rahi hi

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