माँ का एहसास

माँ के गुजरने के बाद ये पहली छुट्टियाँ हैं मेरी। मैं सोच रही थी न जाने अब भाई बुलाएगा या नहीं,अब माँ के बिना घर मे मन लगेगा या नहीं। ये ही हुआ शाम को ही भाई का फ़ोन आया और बोला (और गुड्डन कब आ रही हो अब तो बच्चों की छुट्टियां भी शुरू हो गयी है। कब की टिकट करवाऊं तुम्हारी)

मेरे हाथ से फ़ोन खिसक गया, सँभालते हुए मैंने कहा नहीं भैया इस बार मेरा मन नहीं कर रहा है आने को, अच्छा नहीं लगेगा माँ के बिना उधर से भाई ने कहा (अरे पगली ये तो जीवन है इसमें जो आया है वो जायेगा , तू तो बता कब आ रही है। मैंने कहा ठीक है भैया मैं कल बताती हूँ कब आऊँगी)

मैंने दूसरे दिन भैया को नियत दिन बता दिया, और उस दिन बच्चों सहित मायके पहुँच गयी। वहाँ जाते ही मुझे वैसा ही लगा जैसा सोचा था, मेरा मन ही नहीं लग रहा था घर के कोने कोने में आँखें जैसे माँ को तलाश रही थी पर माँ कहीं नहीं थी। माँ की चारपाई की जगह भी अब डाइनिंग टेबल ने ले ली थी। मगर भैया भाभी का प्यार दुलार जैसे बढ़ गया था भाभी भी वैसे ही प्यार दे रही थी माँ की तरह मगर कुछ कमी सी थी। कहते है न आम का स्वाद अमिया से नहीं आ सकता है। जैसे तैसे १५ दिन निकल गए मेरे जाने का बुलावा भी आ गया और लौटने की तैयारी होने लगी।

तभी भाभी ने कहा (अरे गुड्डन स्टोर रूम से आचार का मर्तबान ले आ तेरे लिए डलवाया था ले जाना) जैसे ही मैं स्टोर रूम मे गयी वहां मेरी नज़र टांट पर लगे परदे पर गयी। मेरी माँ की साड़ी से बने थे , सबसे पहले मैंने उसे छुआ फिर चूमा और अपने सीने से लगाया मानो मैं अपनी माँ के गले से लग रही हूँ। मुझे माँ के होने का एहसास हुआ और मैं वहाँ थोड़ी देर बैठ गयी और कल्पना करने लगी माँ के उस रूप की जब माँ वो साड़ी पहनती थी। इतने मैं भाभी की आवाज़ से मैं संभली और बोली हाँ आयी भाभी मुझे मर्तबान मिल गया और माँ भी। मैं स्टोर रूम से बाहर आ रही थी। मुड़कर देखा माँ का आँचल हिल रहा था मानो माँ मुझे हाथ हिला कर विदा कर रही थी। और अंत मैं में ख़ुशनुमा मन से मायका घूमकर आ गयी।

Kavita Tanwani

    • 5 years ago

    very beautiful feelings muma♥️

    • 5 years ago

    Bahut he sunder

    • 5 years ago

    Behetreen story !!

    • 5 years ago

    ❤❤❤❤❤

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