पाप की पीड़ा

कहाँ थी तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था,
आयीं नहीं तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था |

चोट खाकर जब मैं आती थी,
तुमने इक फूँक से दर्द उतारा था,
कहाँ थी तुम जब खून बहा इतना सारा था,
आयीं नहीं तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था |

आयी थी तुम पर कर दी थी देर आने मैं,
तब तक डॉक्टर भी, मेरे जीवन से लड़ कर हारा था,
आयीं नहीं तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था |

बस अब इतना तू कर देना माँ,
पूछ लेना उस अंकल से, मैंने उसका क्या बिगाड़ा था ,
जो उसने मुझ को मारा था,
कहाँ थी तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था,
आयीं नहीं तुम माँ , जब मैंने तुम्हे पुकारा था |

Kavita Tanwani

    • 6 years ago

    Wah kya baat hi

    • 6 years ago

    Very beautiful Kavita…

    • 6 years ago

    Apki yeh kavita aj k halat aur haal bayan krti hai un bacho k dil ka jo is taklef se guzre hai aur guzar rahe hai. Very well written ma’am.

    • 6 years ago

    Very nice 😘

    • 6 years ago

    👌👌👌👌

Leave feedback about this

  • Rating
Back to top