माना राह कठिन है तेरी, मंज़िल तुझसे दूर है,
संग है तेरे अपने सारे, फिर क्यों तू इतना आतुर है !
कहदे खुलकर तू हमसे, मन में जो भी बात है,
कोई भी हालात हो, हम तो तेरे साथ है,
तुम्हारा यूँ कुड़कुड़ कर जीना, हमको नामंजूर है,
संग है तेरे अपने सारे, फिर क्यों तू इतना आतुर है !
खड़े हो आज तुम जिस भी मोड़ पर, हम भी वहीं से आये है,
साथ हमारे आज तलक भी, अपनों के ही साये है,
राजदुलारे हो तुम माँ के, बाप को तुम पर गुरुर है,
संग है तेरे अपने सारे, फिर क्यों तू इतना आतुर है !
इक दिन सफल होगा जीवन में, इतना तू विश्वास कर,
हमारे दिए संस्कारों को, ऐसे ना तू नाश कर,
हमारी इसी धरोहर को, तुझे संभालना जरूर है,
संग है तेरे अपने सारे, फिर तू क्यों इतना आतुर है,
माना राह कठिन है तेरी, मंजिल तुझसे दूर है !
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